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Rajesh kumar

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Electric Works | Jaipur, Rajasthan

क्या आप भी अपनी ऑफिस,जिम,रेस्टोरेंट को नया लुक देना चाहते हैं ! #ledlights #ledlighting #ledlightingsolutions #ledlightingdesign #ledprofilelight #ledmagneticlight#ledneonlights
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श्री जानकीनाथ विजयते
मंदिरो की श्रंखला में एक ओर कृति..
कुछ वास्तु कृति सदैव मन के पास होती है यह तब ओर महत्वपूर्ण हो जाता है जब वह आपके आराध्य की हो..
श्री जानकीनाथ मन्दिर

हम बनाते है कुछ बेहतर, आप भी अगर बनाना चाहते है अपने सपनो का घर  व नक्शा  तो हमारे कुशल इंजीनियरो व वास्तु विशेषज्ञ की टीम सदैव आपकी सेवा तत्पर..
◆वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में मंदिर रखने के सही दिशा और स्थान का चुनाव करना बेहद जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करती तो आपके घर पर कभी पॉजिटिव एनर्जी नहीं आएगी।
◆घर में मंदिर रखना चाहते है तो वास्तु के हिसाब से मंदिर को स्थापित करेने के लिए आपको घर के सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा को चुनना चाहिए। यह दिश भगवान के मंदिर को रखने के लिए सबसे बेस्ट होती हैं। 
◆मंदिर की सही दिशा के साथ-साथ आपको अपनी दिशा का भी ध्यान रखना है। आप जब किसी प्रतिमा या फिर तस्वीर की पूजा करती हैं तो आपका मुंह ईस्ट दिशा में होना चाहिए। अगर आप ईस्ट दिशा में मुंह नहीं रख सकतीं तो वेस्ट दिशा भी शुभ है। इन दोनों दिशा में जब मुंह करके पूजा पाठ करती हैं तो आप तल्लीन होकर पूजा कर सकती हैं
श्री जानकीनाथ विजयते मंदिरो की श्रंखला में एक ओर कृति.. कुछ वास्तु कृति सदैव मन के पास होती है यह तब ओर महत्वपूर्ण हो जाता है जब वह आपके आराध्य की हो.. श्री जानकीनाथ मन्दिर हम बनाते है कुछ बेहतर, आप भी अगर बनाना चाहते है अपने सपनो का घर व नक्शा तो हमारे कुशल इंजीनियरो व वास्तु विशेषज्ञ की टीम सदैव आपकी सेवा तत्पर.. ◆वास्तु शास्त्र के मुताबिक घर में मंदिर रखने के सही दिशा और स्थान का चुनाव करना बेहद जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करती तो आपके घर पर कभी पॉजिटिव एनर्जी नहीं आएगी। ◆घर में मंदिर रखना चाहते है तो वास्तु के हिसाब से मंदिर को स्थापित करेने के लिए आपको घर के सबसे शुभ स्थान ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व दिशा को चुनना चाहिए। यह दिश भगवान के मंदिर को रखने के लिए सबसे बेस्ट होती हैं। ◆मंदिर की सही दिशा के साथ-साथ आपको अपनी दिशा का भी ध्यान रखना है। आप जब किसी प्रतिमा या फिर तस्वीर की पूजा करती हैं तो आपका मुंह ईस्ट दिशा में होना चाहिए। अगर आप ईस्ट दिशा में मुंह नहीं रख सकतीं तो वेस्ट दिशा भी शुभ है। इन दोनों दिशा में जब मुंह करके पूजा पाठ करती हैं तो आप तल्लीन होकर पूजा कर सकती हैं

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