स्नेहिल प्रभात वंदन सभी को। ईश्वर कृपा बनाये रखें।
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सब ने इंसान न बनने की कसम खाई है
दुनिया के इस खेल में वक्त तमाशाई है
फैला है खौफ़ ज़माने में किस बात का यूं
आम जनता यहां हर बात पे घबराई है
दोलतों के लिए पागल जहान है सारा
ढूंढते ना मिलती यहां एक अच्छाई है
झूठ के हैं पर लगे उड़ता फिरे यहां वहां
मुंह छुपा के बैठी जो शायद सच्चाई है
हम करें किस पे भरोसा कौन है अपना यहां
मौके पर साथ भी ना देती परछाई है
subhash silawat
bhopal
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